
जालंधर, वरिंदर शर्मा: विश्व इमरजेंसी मेडिसिन दिवस के मौके पर एनएचएस अस्पताल में सिंगल स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों के लिए साइंटिफिक प्रोग्राम का आयोजन किया गया और यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ इस कार्यक्रम का मकसद था डॉक्टरों को इमरजेंसी स्थितियों में मरीजों की जान बचाने के लिए और भी काबिल बनाना।
इस कार्यक्रम में 300 से ज्यादा डॉक्टरों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में अनुभवी डॉक्टरों ने सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पेट दर्द जैसी आपात स्थितियों को संभालने का गुर सिखाया। डॉक्टरों को BLS जैसी जान बचाने वाली तकनीकें भी सिखाई गईं।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं थीं:
• इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों को संभालने और सही निर्णय लेने की विधियों की शिक्षा।
• अनुभवी डॉक्टरों से मुश्किल परिस्थितियों से निपटने के तरीके सीखना।
• दशकों के अनुभव वाले डॉक्टरों के पैनल से इमरजेंसी देखभाल के गुर साझा करना।
• बीएलएस वर्कशॉप में जीवन रक्षक तकनीक सीखने का अवसर।
• साथी डॉक्टरों के साथ नेटवर्किंग का अच्छा अवसर।
एन. एच. एस अस्पताल के निदेशकों डॉ. नवीन चितकारा (न्यूरोसर्जन), डॉ. शुभांग अग्रवाल (ऑर्थोपेडिक), डॉ. संदीप गोयल (न्यूरोलॉजिस्ट), के सहित एन. एच. एस अस्पताल के अन्य डॉक्टर डॉ नरेंदर पॉल ( जनरल सर्जन), डॉ. साहिल सारेन (कार्डियोलॉजिस्ट), डॉ. शैली गोयल (ऑप्थाल्मोनोलॉजिस्ट ), डॉ. विभा चितकारा ( गयेनेकोलॉजिस्ट ), डॉ. पूजा अग्रवाल (एनेस्थीसिया), डॉ. विनीत महाजन (पल्मोनरी मेडिसिन), डॉ सुरभि महाजन ( न्यूरोलॉजिस्ट), डॉ सतिंदर पाल अग्गरवाल ( यूरोलॉजिस्ट ), डॉ पुनीत बाली ( पीडियाट्रिशियन), डॉ ईशा ( गयनेकोलॉजिस्ट) ने डॉक्टरों का मार्गदर्शन किया।
इस कार्यक्रम में डॉ. एसपीएस सूच (पीएमसी के सदस्य), डॉ. रमन शर्मा (पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक) और डॉ. जगदीप चावला (जालंधर के सिविल सर्जन) जैसे बड़े अधिकारियों ने भी शिरकत की। उन्होंने अपने भाषणों में डॉक्टरों को इमरजेंसी चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार तरक्की करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में सी.ए.एच.ओ (कन्फेडरेशन ऑफ एक्रिडिटेड हेल्थकेयर ऑर्गनाइजेशन्स) के योगदान को भी सराहा गया। सी.ए.एच.ओ मरीजों की सुरक्षा और इलाज की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई कार्यक्रम चलाता है।
एन. एच. एस अस्पताल हमेशा से सर्वोत्तम इलाज और आधुनिक सुविधाओं के लिए जाना जाता है। अब हम इमरजेंसी देखभाल में भी क्रांति लाने के लिए तैयार हैं। इस कार्यक्रम में शामिल होकर डॉक्टरों ने न सिर्फ अपने ज्ञान को बढ़ाया, बल्कि इमरजेंसी में मरीजों के लिए जीवनरक्षक बनने का संकल्प भी लिया।